बाँध ना पाया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

बाँध ना पाया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Baandh Naa Paayaa - Hemant Kumar Sharma
व्यर्थ हुए सावन ने कहा―
क्या कोई सम्भाल ना पाया,
बहते-बहते पानी को,
मुट्ठी में पकड़ ना पाया।

यहाँ पुल तिनके से टूट गए,
बाँध भी नदी,
बाँध ना पाया।

रोवन अँखियों का भी,
दौड़ करे सावन से,
मिले कटु शब्द,
सब मनभावन से।
दुख अपनों का,
ऊँचो को समझ ना आया।

सरकारी नौकरी दूर का चाँद,
ग़रीब को लगे शेर की माँद।
फिर मिलतीं कैसे,
पैसे पास नहीं,
सिफ़ारिश पत्र ना लाया।


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