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दीप जले सद्भावना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | दिवाली पर दोहे
दीप जले सद्भावना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | दिवाली पर दोहे
बुधवार, अक्टूबर 30, 2024
दीप जले परहित मदद, बचपन ज्ञानालोक।
मिटे अंधेरा दीनता, भूख प्यास तम शोक॥
सागर मंथन से प्रकट, धन्वन्तरि भगवान।
दीप जले जय सुख विभव, ख़ुशियाँ मुख मुस्कान॥
सजे सोम शिव भाल पर, दूज चन्द्र मुस्कान।
खिली निशा लखि शशिकला, चन्द्रमौलि भगवान॥
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, माँ काली अवतार।
उत्सव नरक चतुर्दशी शुभ, करे पाप संहार॥
दीप जले सद्मति मनुज, संयम सम्बल शक्ति।
मंगलमय दीपावली, भारत में अनुरक्ति॥
आश नवल जगमग जले, नव निर्माण विकास।
दीपक उद्यम नित जले, भर दे वचन मिठास॥
दीप जले सम्वेदना, मिटे वेदना शोक।
खिले रोशनी सुयश पथ, चिन्तन शुभ आलोक॥
दीवा जले भक्ति वतन, दीप जले बलिदान।
तन धन अर्पित वतन, गूँजे भारत गान॥
दीप जले अपनत्व का, रिश्तों भरे मिठास।
दुर्लभ जीवन राष्ट्र हित, सच्चरित्र इन्सान॥
दीपक हो सौहार्द्र का, दीवा जले ईमान।
मिटे छ्द्म मिथ्या कपट, दीप स्वच्छ सम्मान॥
दीप जले समरस वतन, प्रगति दीप विज्ञान।
दीप तिरंगा का जले, हिन्दुस्तान महान॥
दीप बधाई की जले, खिले रोशनी प्रीत।
दीया जले सद्भावना, न्याय ज्योति सद्नीत॥
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