ज्योति पर्व - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | दीवाली पर मुक्तक

ज्योति पर्व - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | दीवाली पर मुक्तक | Muktak - Jyoti Parv. Diwali Muktak
निर्धन की झोपड़ियों में जा दीपक एक जला आना,
लाई गट्टा खील खिलौने जाकर उन्हें खिला आना।
जहाँ शहीदों की समाधि हो शीश झुकाकर दीप जलाना–
फिर घर खेत गली देवालय दीपों की अवली धर आना॥

ज्योति पर्व पर तुम्हें बधाई देता आज 'अंशुमाली',
विष्णुप्रिया लक्ष्मी आएँगी सुख समृद्धि ले दीवाली।
गणपति-श्री के चरण पूजना करना अर्चन नीराजन–
प्रगति पंथ पर लक्ष्य मिलेगा और बनोगे प्रतिभाशाली॥

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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