तुम मुझसे कह रही थी - कविता - पारो शैवलिनी

दो दिन की मुलाक़ात में 
दुनिया बदल गई थी।
हम तुम में खो गए थे
तुम मुझमें खो गई थी।।
 
तन्हाईयों में पाकर 
किया प्यार मुझको जी भर
पागल सा कर दिया था
पागल सी हो गई थी।।

है बात दोपहर की
हम-तुम थे खोए-खोए 
जी भर रुलाया मुझको 
और ख़ुद भी रो रही थी।।

कैसे रहेंगे हम-तुम 
होकर जुदा बता दो,
हम तुमसे कह रहे थे
तुम मुझसे कह रही थी।।

पारो शैवलिनी - चितरंजन (पश्चिम बंगाल)

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