तोता मुझे बना दो - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"

तोता मुझे बना दो राम,
लंबे पंख लगा दो राम।
नील गगन में मैं उड़ जाऊँ,
तारे सभी बना दो आम।।

तोता मुझे बना दो राम,
सुंदर पंख लगा दो राम।

कभी ख़त्म ना हो बहार वो,
पतझड़ का क्या वहाँ पे काम।
तोड़-तोड़ कर उनको खाऊँ,
मुफ़्त में बन जाए मेरा काम।।

तोता मुझे बना दो राम,
सुंदर पंख लगा दो राम।

इंद्रधनुष के रंग चुरा कर,
कर दूँगा होली के नाम।
सारे रंग मुफ़्त में दूँगा,
लूँगा नहीं किसी से दाम।।

तोता मुझे बना दो राम,
सुंदर पंख लगा दो राम।

हरा लाल बंट गया मज़हब में,
सतरंगी हो मेरा चाम।
प्रेम भाव सन्देश सुनाऊँ,
मुझे सौंपना बस ये काम।।

तोता मुझे बना दो राम,
सुंदर पंख लगा दो राम।।

नृपेंद्र शर्मा "सागर" - मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)

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