पथ मेरा गुरुजन सरल करें - बाल कविता - भगवत पटेल

उपदेशों से मन होता भारी,
सूक्ति वाक्य में समझ परे है। 
पुस्तक बोझ समझ कर ढोता,
विद्यालय से हर रोज़ डरे है।
कुछ ऐसा कर दो मेरे गुरुवर,
मन मे रोचकता झट आ भरें।
पथ मेरा गुरुजन सरल करें।।
 
पाठ्य पुस्तक और पाठ्यक्रम,
उत्साह मेरा बुझा रहे हैं।
विद्यालय में बढ़ते संसाधन,
फिर भी मुझको चिढ़ा रहे हैं।
हर लो चिंता मेरी गुरुवर,
हम सब पढ़ने से है बहुत डरें।
पथ मेरा गुरुजन सरल करें।।

उलट मान्यता स्कूलों की,
हमको कमतर आँक रहे है।
सभी पुस्तकों का निचोड़,
गुरुजन हमको पढ़ा रहे।
ख़ूब पढ़े हम सब बच्चे,
ऐसा कुछ काम करें।
पथ मेरा गुरुजन सरल करें।।

बाल साहित्य की रुचिकर दुनिया,
छपी लिखी सामग्री पाए।
बहुत कार्टून छपे है इन पर,
बहुत ज्ञान हम इससे पाए।
ऐसा जोर लगा दो गुरुवर,
शाला आने से न डरें।
पथ मेरा गुरुजन सरल करें।।

पढ़ने को हम कुछ खोजें, 
खोज बीन कर हम लिख लें।
खेलें, सीखें सब गतिविधियाँ, 
अच्छे नोट्स हम रच लें।
ऐसी दिशा दिखा दो गुरुवर,
डूबें उसमें फिर स्वयं करें।
पथ मेरा गुरुजन सरल करें।।

भगवत पटेल - जालौन (उत्तर प्रदेश)

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