नये साल की सबको हम
बधाई दे रहे।
उजले-उजले दिन हों
महकी-महकी रातें।
और किसी रिंद की हों
बहकी-बहकी बातें।।
फूल अपने चेहरे की
लुनाई दे रहे।
धूप मुंडेरों से ज्यों
करती हो किल्लोल।
मिल जाएं पपीहे के
पिहू-पिहू के बोल।।
जुगनु जैसे चंदा की
जुन्हाई दे रहे।
हेमंत ऋतु तो जाड़े का
एक अक्स हुई।
है दिन में खिलती धूप
हो रही छुई-मुई।।
भोर के पंछी रवि की
अरुणाई दे रहे।
अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)