दोस्ती - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी

साथियो  दोस्ती में
एक दुसरे के लिए
मर मिट जाना है,
न भेद-भाव हो
संयम हो
समर्पित हो जाना है।
स्वार्थ को छोड़ो और
छोड़ो पराया पन,
दोस्त के
कदम कदम पर
दिखलाओ अपनापन।
राजा हो
या हो बनवासी
या हो कैसा भी भेष,
सुग्रीव ओर राम
की दोस्ती ने दिया है
जग को संदेश।
दोस्ती में
छोटी छोटी बातों को कर देते है दरकिनार,
प्रेम से बोलना
प्रेम व्यवहार ही
दोस्ती का
है श्रृंगार।
ठकुर सुहाती
बातें करना
दोस्ती में
है केंची की धार,
आयें मुसीबतें
कितनी भी
पर अडिग रहना
जो तुमने किया इकरार।
अगर तुमने
ऐसा कर लिया तो
अमर रहेगा
दोस्ती का प्यार।
अपने दोस्त को
संकट से निकाल
सबल बनाना है,
दोस्ती में एक दुसरे
के लिए
मर मिट जाना है।

रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)


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