आवाज नहीं कोई रहा उठा,
है किसी के साथ नहीं घटा?
यह समाज भी सह रहा सभी ,
बेटियां बहुएं सुरक्षित नहीं।।
मनुष्यता अब खो गई कहीं,
भीष्म से अब मौन हैं सभी?
हो प्रयास न हो शर्मसार कोई,
हम सभी लें शपथ आज ही।।
सिखा देंगे मां के लाडलों को,
सहारा दो मां की बेटियों को।।
गर ऐसा न हुआ मिट जाओगे,
अपनी मां का ही दूध लजाओगे।।
दिनेश कुमार मिश्र "विकल" - अमृतपुर, एटा (उत्तर प्रदेश)