कृपा मातु कात्यायनी - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

सकल कामना पूर्ण हो, रोग शोक अवसान।
कृपा मातु कात्यायनी, पा सपूत वरदान।।१।।

ऋषि कात्यायन आत्मजा, कात्यायनि जगदम्ब। 
शान्ति सुखद जीवन मिले, षष्ठी माँ अवलम्ब।।२।।

महिषमर्दिनी साधना, करे भक्ति जो लोक।
पाप मुक्त पावन हृदय, अरुणिम ज्ञानालोक।।३।।

चक्र जागृति सफल नर, सिद्ध योग पा भक्ति।
मिटे मनसि दुख आपदा, निर्भय धीरज शक्ति।।४।।

जितेन्द्रिय मानव प्रकृति, हो उदार परमार्थ।
मिले कात्यायनी कृपा, जीए जग धर्मार्थ।।५।।

जिसपर मातंगी कृपा, हो भवसागर पार।
मिटे मोह माया जगत, हो जीवन उद्धार।।६।।

पूजा माँ कात्यायनी, किया स्वयं श्री राम।
पूजित माँ श्रीकृष्ण से, सिद्धि हेतु सत्काम।।७।।

सादर पूजन माँ करूँ, पाऊँ शुभ वरदान।
प्रीति नीति भारत सबल, समरस यश सम्मान।।८।।

खिले वतन अरुणिम सुमन, अस्मित गन्ध निकुंज।
मिले कृपा कात्यायनी, सुख पराग अलिगुंज।।९।।

महाशक्ति नवरूप माँ, नवधा दुर्गा नाम।
कर पूजन कात्यायनी, जीवन हो सुखधाम।।१०।। 

डॉ. राम कुमार झा "निकुंंज - नई दिल्ली

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos