जन्मा जिसने कोख़ से,करा पयोधर पान।
ममतांचल में पालकर, साश्रु नैन मुस्कान।।१।।
ममतांचल में पालकर, साश्रु नैन मुस्कान।।१।।
चारु चन्द्रिका शीतला, करुणा पारावार।
निज सन्तति बन रक्षिका,अम्बा तू आधार।।२।।
निज सन्तति बन रक्षिका,अम्बा तू आधार।।२।।
प्रथम शिक्षिका जिंदगी , अवतारक संसार।
सींचा नित नैनाश्रु से , पावन माँ आभार।।३।।
सींचा नित नैनाश्रु से , पावन माँ आभार।।३।।
स्नेह सुधा सरिता बनी, अवगाहन सन्तान।
किया समर्पित जिंदगी,पूर्ण पूत अरमान।।४।।
किया समर्पित जिंदगी,पूर्ण पूत अरमान।।४।।
तू जननी हित कारिणी,शान्ति छाँव विश्राम।
हम कपूत होते भले, तू निर्मल अभिराम।।५।।
हम कपूत होते भले, तू निर्मल अभिराम।।५।।
भूली सब निज वेदना , देख पूत अवसाद।
झेल पराभव पूत का,मातु हृदय अनुनाद।।६।।
झेल पराभव पूत का,मातु हृदय अनुनाद।।६।।
माँ ममता नवनीत बन , प्रमुदित पूत निकुंज।
जीवन आज सुपात्र बन, यश गुंजे अलिगुंज।।७।।
जीवन आज सुपात्र बन, यश गुंजे अलिगुंज।।७।।
यादें बस माँ लाड़ मन,छायांचल सुख शान्ति।
जहाँ रहो ममतामयी , स्नेह रंग दे कान्ति।।८।।
जहाँ रहो ममतामयी , स्नेह रंग दे कान्ति।।८।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नव दिल्ली