माँ - कविता - चीनू गिरि


माँ के लिए मैं क्या रचना लिखु वो खुद हमारी रचियता है माँ पर जितना भी लिख दू वो कम है 

ईश्वर की सबसे सुन्दर रचना माँ...
धरती पर ईश्वर का रुप है माँ...
अम्मा, जननी ,माता ,महतारी माँ ...
भिन्न भिन्न नामो से जानी जाती माँ...
धरती की तरह सहनशील है माँ...
क्षमाशील और त्याग की मुर्ति है माँ...
निस्वार्थ प्रेम का सागर है माँ...
जिंदगी की पहली गुरु है माँ...
सही गलत की शिक्षा देती है माँ...
सुई चुभने से रो देती है माँ...
जन्म देने का दर्द सह जाती है माँ ...
मेरी तो जिंदगी ही माँ है...
और जिंदगी देने वाली भी माँ ....
मेरे चारों धाम तेरे चरणों मे है माँ...
मेरा जीवन तुम्हारी ऋणी रहेगा माँ....

चीनू गिरि 
देहरादून उत्तराखंड

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos