संदेश
चले हैं पैदल - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
सबल हाथों से उठा स्नेह जल, चले हैं पैदल। बाहर के जल से, अन्तर जगाना है। जल की भान्ति, मन पावन बनाना है। ओम् धुन सदल, चले हैं पैदल। मा…
राम मेरा भी रोया होगा - कविता - राघवेंद्र सिंह | कौशल्या विलाप कविता
एक दिवस रनिवास कोठरी, बैठ अभागन सोच रही थी। विह्वलता के दीप तले वह, स्वयं अश्रु को पोंछ रही थी। सोच रही थी हाय विधाता! तूने यह विधि ठा…
मित्रता - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मनमीत हृदय समुदार सदय, गूंजार मित्र बहलाता है। हर सुख दुख पल छाया बन कर, नित घाव हृदय सहलाता है। चकाचौंध विरत बिन मत्त सुयश, सम्मान मी…
ये लो पुस्तकें - कहानी - पीयूष गोयल
मुझे बचपन से ही पुस्तकें पढ़ने का शौक़ रहा है, मेरे मम्मी पापा अच्छी तरह से जानते थे इसको पैसे दे दो, किताबें ज़रूर लेकर आएगा। मेरे पास…
तुम सच में राधा जैसी हो - कविता - सत्यकाम
तुम सच में राधा जैसी हो तुम तितली फूलों वाली हो तुम सावन झूलों वाली हो तुम ऊँची बनी हवेली हो तुम सुंदर नई नवेली हो तुम सुरा सूक्त वो प…
बढ़ने लगी उदासी - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तुम खो गए हो! जैसे हवाएँ स्पर्श कर निकल जाती हैं। उदासी बढ़ने लगी है; जैसे अँधेरा घहराने लगता है। मन मायूसी के सागर में डूब गया है, जै…
घुमड़-घुमड़ घनघोर घटा छाए रही - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
घुमड़-घुमड़ घनघोर घटा छाए रही, स्वेत घन श्याम बन गगन गर्जन लगे। लगत है बच रहे इन्द्र के नगाड़े आज, दानव दलन देव रण में सजन लगे। उमड़ प…
मुसाफ़िर - कविता - निखिल शर्मा
जो टूटें अरमाँ तो टूटने देना। जो ख़्वाब बिखरें तो बिखरने देना। कुछ तो सबक़ मिलेगा कुछ तो हौसला ज़ाहिर होगा। दिन कट गया रात तो होगी और रा…
डर हमें भी लगता सन्नाटों से - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
डर तो हमें भी बहुत लगता था, रास्तों के उन सन्नाटों से। मगर यह तय था कि हर हाल, हमें सफ़र पर जाना ही होगा। याद होगा उसे भी गुज़रे थे, जो…
सफलता क्या है? सफलता के नियम
सफलता हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शब्द अपने आप में बहुत व्यापक और बहुमुखी है। सफलता की परिभाषा हर व्यक्त…
मेघ, सावन और ईश्वर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | सावन पर दोहे
बरसी सावन की घटा, गरजे मेघ प्रचण्ड। ईश्वर शिव पूजन जगत, भारत बने अखण्ड॥ सती नाथ झूला झुले, सावन पावस मास। भूत प्रेत नंदी स्वजन, ना…
सावन - कविता - सुनीता प्रशांत
ये कौन उत्सव आया सखी री मन क्यों कर मुसकाया सखी री मेघ गरज कर मृदंग बजाते मधुकर मधुर तान सुनाते फूल ये क्यूँ सकुचाया सखी री ये कौ…
मार्कण्डेय महादेव मंदिर - लेख - वारीन्द्र पाण्डेय
शिव की अगाध श्रद्धा का केंद्र हैं मार्कण्डेय महादेव मंदिर , यहाँ मिलता है पुत्र कामना की पूर्ति का आशीर्वाद। सावन भर लगता है भक्तों का…
सुना है सपने सच होते हैं - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
मन की तरंगे बढ़ने दो मन पतंग सा उड़ने दो पंख तेरे अब खुलने दो भ्रम की दीवारें गिरने दो नैनो में सपने पलने दो सिंचित-पोषित बीज अंकुरित हो…
क्या मैं तुम्हें उपहार में दूँ - कविता - राघवेंद्र सिंह
हे सृजन की वल्लभा! हे प्रीत की परिचायिका! हूँ आज करता मैं नमन, हे काँति शोभित नायिका! तुम शून्य से संवाद हो, तुम ही मेरी दिग्दर्शिका। …
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर? - कविता - बिंदेश कुमार झा
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर ऊँची पर्वतों की चोटी यह धरती का लघु कण, राजकुमार का शयन कक्ष या योद्धाओं का रण? तुम में और मुझ में कौन…
ओह गिरधर! मुरली वाले - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
तुम्हें नित नए रंग में पूजें, सब रूप-रूप से निराले। ओह! गिरधर मुरली वाले, मेरे गिरधर मुरली वाले। तेज़ ने तेरे विश्व हिलाया, देव, गुरु, …
हौसलों की उड़ान - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
दर्द की आग में तपकर बनें हैं हम, हर मुश्किल से लड़कर बनें हैं हम। हौसले की उड़ान है अभी बाक़ी, मंज़िलें हासिल कर दिखाएँगे हम। हैं ख़ारों…
मेरी हार ही मेरी असली ताक़त है - कविता - तेज नारायण राय
मेरी हार जब मेरे गाल पर तमाचा बनकर लगती है तब बेशक तिलमिला उठता हूँ मैं लेकिन धैर्य नहीं खोता कभी गिर जाता हूँ सोच की गहरी खाई में …
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