सीमा शर्मा 'तमन्ना' - नोएडा (उत्तर प्रदेश)
डर हमें भी लगता सन्नाटों से - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
रविवार, जुलाई 28, 2024
डर तो हमें भी बहुत लगता था,
रास्तों के उन सन्नाटों से।
मगर यह तय था कि हर हाल,
हमें सफ़र पर जाना ही होगा।
याद होगा उसे भी गुज़रे थे,
जो हम कभी उसकी मानिंद।
वहीं कहीं आस पास बिखरा पड़ा,
अधूरा एक अफ़साना होगा।
यूँ तो वो जो जीत कर भी,
शर्मिंदा अपनी रहगुज़ारी पर।
हम हारकर भी न जाए उन पर,
सिर्फ़ दिल को बहलाना होगा।
स्वयं पर विश्वास की ज्योति,
अंत तलक हमें जलानी है।
हो कितनी प्रतिकूल परिस्थितियाँ,
अपने हौसलो की राह ध्रुव सी,
अटल और मज़बूत हमें बनानी है।
माना राहों में मुश्किलें अथाह हैं,
लेकिन हर मुश्किल पथ पर जीत
हासिल करने की चाह जगानी है।
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