संदेश
होली खेले कान्हा - गीत - प्रवल राणा 'प्रवल'
आज बिरज में होली खेले कान्हा। होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥ कौन के हाथ में देवे पिचकारी, कौन के हाथ गुलाल देवे कान्हा। कान्हा क…
होली आई रे - कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
कली केशरिया बने रंग पिचकारी जात-पात भूल, सब गाए संगवारी रंग बिरंगी फूलों सा, ख़ुशहाली महके फागुनवा छाई झमाझमा, होली रे... होली आई रे..…
होली का त्योहार मुबारक - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
होलियारों की शान मुबारक, होली वाली तान मुबारक। रंग बिरंगी सबको भाती रंगों की दुकान मुबारक। सभी अधूरी आस मुबारक, सरहज साली सास मुबारक। …
होली आई - कविता - आशाराम मीणा
लंबी रातें छोटी हो गई मौसम ने ली अँगड़ाई, शरद ऋतु ने ली रवानी बसंत की आहट आई। सतरंगी मौसम में देखो होली आई होली आई॥ सुनहरी फ़सलें खेतों…
वृंदावन में होरी आई होरी आई रेें - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
वृंदावन में होरी आई होरी आई रे होरी आई रे अरे होरी आई रे... वृंदावन में होरी आई होरी आई रे। ग्वाल बाल संग कान्हा गोकुल में आवेंगें सखी…
धूमिल सी होने लगी होली की यादें - आलेख - डॉ॰ शंकरलाल शास्त्री
होली का नाम सुनते ही चंग और झांझ, मंजीरों के साथ धमाल का गाया जाना हमें आज भी अच्छे से याद है। बचपन की उन स्मृतियों को ताज़ा करते हैं त…
होली आई है - घनाक्षरी छंद - डॉ॰ सुमन सुरभि
1 चहुँ दिश उड़ रहा, रंग औ गुलाल सखी, सतरंगी चुनरी में, सज होली आई है। लाल हैं कपोल और, पीत रंग दिव्य भाल, कंचुकी भी प्रीत भरे रंग में, …
राधा कृष्ण की होली - कविता - आशीष कुमार
फागुन महीना है मस्त मस्त आला, निकला है रंगने गोकुल का ग्वाला। हाथों में उसके कनक पिचकारी, जाएगी बच के कहाँ बृजबाला। राधा ने मटकी में र…
इक गुलाल की पुड़िया - गीत - डॉ॰ मान सिंह
बातें ख़ूब रंगीली होंगी उसकी सभी सहेली होंगी, जाने किनके लिए सभी ये इक अनबूझ पहेली होंगी। इठलाती-इतराती वो है, इक जादू की पुड़िया। अब भी…
फागुन की बहार - कविता - शीतल शैलेन्द्र 'देवयानी'
आज रंग अबीर गुलाल मन को हृदय को कोर कोर रंग गयो, चुपके से कोई भँवरा आयो मन मयूर सा मचल गयो। रंगों रगींली छैल छबीली उसके रंगों में रंग …
होली - कविता - गोलेन्द्र पटेल
फाल्गुनी लोरी की लय में होरी सुना रही है आँगन में बन रही है रंगोली ख़ूब उड़ रही है रोरी चेहरे पर अबीर ही अबीर है रूप में रंग ही रंग एक …
आई होली है - गीत - ललित रंग
आई होली है बरसों के बाद रे, नाचो गाओ सब झूमो तूं आज रे। आज कहना ना कोई बदनाम रे, झूमे मस्ती में सारा जहान रे।। डाली-डाली उपवन उपवन छाई…
रंगोत्सव होली - कविता - रमाकांत सोनी
जोश जुनून उमंग जगाता, तन मन को हर्षाता। रंगों का त्योहार होली, सद्भाव प्रेमरस बरसाता। गाल गुलाबी दमकते, गोरी के गुलाल लगाकर। पीला रं…
पतझड़ देते है संदेशे - कविता - डॉ॰ कुमार विनोद
रंग गुलालों के मौसम ने ढेरों ख़ुशियाँ लाई है। पतझड़ देते है संदेशे फागुन की ऋतु आई है।। पेड़ों पर पत्तों के किसलय कोंपल बन कर आई है। मनम…
रंग गुलाबी छा गया - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
रंग गुलाबी छा गया, गली-गली गुलज़ार। अंग-अंग गीले दिखें, होली के त्योहार।। होली के त्योहार, हलचल मची है दिल में। प्रीति-प्यार का हार, …
आई होली आई - कविता - ब्रजेश कुमार
राग है, रंग है, बज रहा मृदंग है, उल्लास है, उमंग है, मच रहा हुड़दंग है। अलमस्त मौसम ने है ली अँगड़ाई, ख़ुशियों के रंग लिए आई होली आई। …
होली आई - कविता - गणेश भारद्वाज
होली आई होली आई, रंगों की भर झोली लाई। नाचे झूमे सारी सखियाँ, कैसी यह हमजोली आई। निखरी-निखरी ख़ूब धरा है, सबके मन उल्लास भरा है। सबको उ…
आ तुझे ऐसे रंग लगाऊँ मैं - कविता - अतुल पाठक
ख़ूबसूरत गुलाबी रुख़्सार हैं तेरे, रुख़्सार पर बिखरे बाल ये तेरे। तुझे छूकर देखा, लगती तू गुलाल हो जैसे। इस रंगोत्सव पर प्यार के रंग, र…
होली - लोकगीत - अभिषेक मिश्रा
सजनवा आ रे अपने गाँव कि होली आने वाली है, बुलाता है बरगद का छाँव कि होली आने वाली है, आने वाली है कि होली आने वाली है। सजनवा आ... मन्द…
गाँव की होली - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
बहुत याद आती है वह गाँव की होली, रात को निकलती थी जब यारों की टोली। होली का ईंधन कुछ इस तरह जुटाते थे, जो ज़्यादा सहेज कर रखते थे उन्ही…