तो समझो की ये होली है - गीत - उमेश यादव

तो समझो की ये होली है - गीत - उमेश यादव | Holi Geet - To Samjho Ki Ye Holi Hai - Umesh Yadav. होली पर गीत/कविता। Hindi Poetry On Holi Festival
नयनों में ख़ुमारी छाए, साँसों में भी उष्णता आए।
मन मिलने को अपनों से, होकर अधीर अकुलाए॥
लहरों सा हिलोरे ले मन, तो समझो की ये होली है॥

मन मस्ती में डूब जाए, ये होठ स्वतः गुनगुनाए।
लगे पाँव स्वयं थिरकने, समरसता भाव में आए॥
साजन के सपने आए, तो समझो की ये होली है॥

मुश्किल हैं दर्शन जिनके, उनका स्पर्श मिल जाए।
बिना चखे जिह्वा भी जैसे, अमृत सा तृप्त हो पाए॥
बिन बोले बात हो जाए, तो समझो की ये होली है॥

स्वांस प्रस्वांस में जब भी, ख़ुशबू चन्दन सी आए।
मदमस्त मगन मन को कोई, बस एक नाम ही भाए॥
सतरंगों की वृष्टि भाए, तो समझो की ये होली है।।

खोलें जब मन के द्वारे, खड़े प्रियतम तुम्हें निहारे।
प्रेम गंगा पावन बह जाए, प्राणि हर जन्म सँवारें॥
मन के तार झंकृत हो जाए, तो समझो की ये होली है॥

उमेश यादव - शांतिकुंज, हरिद्वार (उत्तराखंड)

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