होली खेले कान्हा - गीत - प्रवल राणा 'प्रवल'

आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥

कौन के हाथ में देवे पिचकारी,
कौन के हाथ गुलाल देवे कान्हा।

कान्हा के हाथ में लगी पिचकारी,
राधा के हाथ में गुलाल देवें कान्हा।

आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥

कौन रंग की है राधा रानी,
कौन रंग के हैं मेरे कान्हा।

गोरे रंग की है राधा रानी,
श्याम रंग के हैं मेरे कान्हा।

आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥

कहाँ से आई राधा रानी,
कहाँ से आए मेरे कान्हा।
बरसाने से आई राधा रानी,
नंद गाँव से आए मेरे कान्हा।

आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥

किन के संग में राधा जी आईं,
किन के संग में आए मेरे कान्हा।
संग विशाखा राधा जी आईं,
संग सुदामा आए मेरे कान्हा।

आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥

किन की बेटी हैं राधा रानी,
किनके कुंवर हमारे कान्हा रे।
वृषभानु दुलारी है मेरी राधा,
नंद के दुलारे हैं मेरे कान्हा।

आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥

कौन दिशा से आई राधा रानी,
कौने दिशा से आए मेरे कान्हा।
पश्चिम दिशा से आईं राधा रानी,
पूरब दिशा से आए मेरे कान्हा।

आज बिरज में होली खेले कान्हा।
होली खेले कान्हा ठिठोली करें कान्हा॥


Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos