संदेश
विधा/विषय "ज़मीन"
झिलमिलाती ज़मीं - कविता - मेहा अनमोल दुबे
मंगलवार, अगस्त 23, 2022
दूर कहीं आसमान में झिलमिलाती है, एक और ज़मीं एक और रात, झिलमिलाती सी मेरी और देखती है, बिखरती सी... मुझ तक आ पहुँचती है, फिर समझती ह…
ज़मीन - कविता - रमाकांत सोनी
सोमवार, दिसंबर 20, 2021
जो ज़मीन से जुड़े रहे संस्कार उन्हीं में ज़िंदा है, देशद्रोही ग़द्दारों से हमारी भारत माता शर्मिंदा है। हरी भरी हरियाली धरती बहती मधुर बय…
स्वर्णभूमि - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शुक्रवार, अप्रैल 23, 2021
अबकी बार फूलमती के खेत में गेहूँ की लहलहाती फ़सल पूरे वातावरण को सुगंधित कर रही थी, क्योंकि तराई में बसे गाँव भीखमपुर की विधवा फूलमती न…
मैं तुम्हारी जमीन हूँ - कविता - भागचन्द मीणा
मंगलवार, अक्तूबर 06, 2020
मैं तुम्हारी जमीन हूँ तू चाहे मेरा अनाज खा और जीवन बसर कर तू चाहे तो क्षणभंगुर दौलत कमा मुझे बेंच कर तू चाहे इज्जत कर मातृभूमि समझ कर …