तेरे बिना - कविता - कर्मवीर सिरोवा

तेरे बिना रो पड़ता हूँ तुझें राज़ी करने के लिए,
तेरे बिना जीवन मानिंद जहन्नुम हैं,
तू नहीं तो जीवन का हर सुख दुःख हैं,
करता हूँ बेइंतहा प्यार तुझें,
फिर भी हो जाती हैं गलतियाँ मुझसे,
तू जब गुस्सा हो जाती हैं,
नहीं मन लगता कहीं,
रो पड़ता हूँ, 
अजीबोगरीब तड़प सी कुलबुलाने लगती हैं,
हौले हौले मेरा दम घुटता हैं,
तो फिर ख़ुद को बचाने मुझें आना होता हैं तेरे दर पर,
चेहरे को आँसूओं के ख़ंजर बेतहाशा मारकर
सिसकता हूँ तेरे सामने खुद को लहूलुहान कर,
दुहाई माँगता हूँ यारब... तू ही तो हैं मेरा रब,
हो जाती हैं ग़लती, मैं भी तो हूँ फ़क़त आदमी,
तेरे बिना नहीं चाहिए जीवन की कोई जूस्तजू,
तेरे बिना हर पल में छिपा कोई कसाब हैं,
मुझें माफ़ कर दे, मुझें फिर हँसा दे, मुझें प्यार दें,
तू ही तो मेरा जनाब हैं,
यही मेरी अब अंतिम आवाज़ हैं,
तू सुन ना, मेरी सिसकती, डूबती, काँपती आवाज़ को,
देख, कितना दरिद्र हूँ मैं तेरे बिना,
मैंने सहा हैं मुफ़लिसी का दंश,
तू मेरी होकर मुझें अमीर कर दें,
मेरी आवाज़ की गहराई में उतर कर मेरे दिल में गोते तो लगा,
इस आत्मा में मैंने सिर्फ तेरी ही तस्वीर ली है सजा,
तू मेरे हर ख़्वाब की ताबीर हैं,
इस सफ़र में मोहब्बत का मुक़ाम मुझें अब मिला हैं,
ख़ुद को तपती धूप तो तुझें भिनसार कहा हैं,
मेरी हर कविता को तुमनें अपने दिल में जगह दी,
इससे मेरे सम्मान को तूने चौगुना मान दिया हैं,
तू मेरी हमसफ़र हैं तेरे सरेराह अब मुझें चलना हैं,
तुम जैसे रखोगी अब मुझें रहना हैं,
तू कितनी अच्छी हैं पाक हैं नायाब हैं,
तू मेरा कोई मुक़म्मल ख़्वाब हैं,
तू प्राण हैं, पहला प्यार हैं, संजीवनी हैं, मुस्कान हैं, आशा हैं, जीवन हैं, ख़्वाब हैं,
मेरी आँखों में बहता तू ही श्वेत आब है,
तेरा मुझसे एक पल के लिए भी नाराज होना,
ख़ुद में ये इल्म होता हैं,
कि बिना तेरे मेरा सफ़र नहीं कटने वाला,
मेरी हाँफती, टूटती साँसे कहती हैं,
तू राजी हो जा न, तू मुस्करा दे न यार,
क्यूँ अपने दीवाने को मौत की सज़ा सुना रही हैं...

कर्मवीर सिरोवा - झुंझुनू (राजस्थान)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos