ग़म को तुम इस तरह आजमाया करो,
दर्द में भी कोई गीत गाया करो।
रोज़ मिलते हो तुम मुस्कुराते हुए,
मेरे दिल में किसी रोज़ आया करो।
दोस्ती है नई और नई चाह है,
इसको अच्छी तरह से निभाया करो।
दिल ने अरमान है कुछ तुम्हारे लिए,
मेरे घर भी कभी आया जाया करो।
खूबसूरत हो तुम और ज़रूरत हो तुम,
रास्ते में नज़र मत मिलाया करो।
मुझसे कोई शिकायत तेरे दिल में हो,
बेहिचक बात मुझको बताया करो।
इश्क में मैं दीवाना तुम्हारा हुआ,
आबरु अब मेरी भी बचाया करो।
आलोक रंजन इंदौरवी - इन्दौर (मध्यप्रदेश)