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विधा/विषय "हिंसा"
हिंसा - कविता - रौनक द्विवेदी
मंगलवार, अगस्त 08, 2023
हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा, वर्ना बिखर जाओगे जैसे टूट कर शीशा। हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा। आग में उसकी डाल के पा…
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