संदेश
सूरज - कविता - डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
दिनकर का मिलता है स्पर्श, धरती खिल खिल है जाती। आदित्य रश्मि की चादर से, अनुराग रवि का सतत पाती। सूरज की किरणें ये करतीं जग का जीवन है…
लौट चला है सूरज - गीत - आलोकेश्वर चबडाल
चल रे घर चल नाविक अब तो लौट चला है सूरज! आशाओं की किरणें लेकर निकला दूर गगन से, दशों दिशाओं को चमकाया उसने सधी लगन से। तू भी निकला आँ…
सूरजमुखी - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
सूरज की ओर मुँह किए खिल रहे, पीले-पीले सुंदर सूरजमुखी के फूल। भोर की पहली किरण निकलते ही, खिलखिला उठते सूरजमुखी के फूल। शरद रातों में …
अरुणोदय - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
उषाकाल में- लालिमा से परिपूर्ण, प्रखर तेज, रक्त-वर्ण, अरुण! होते विकसित अरुणाचल में। हरे-भरे पर्वत-श्रंगों- के मध्य, लाल-बिंबफल सम, द…
सूरज का अभिनंदन - कविता - मयंक कर्दम
आसमान भी तरस गया, कोयल की आवाज सुनने को। धरती में पानी से भीग गई, कोयल के साथ गुनगुनाने को।। कलियाँ भी खिल गई, सूरज को मुख दिखलाने क…
अदला बदली - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
सुबह जगाने आता सूरज, शाम सुलाने आता चंदा। गर अदला-बदली हो जाए, झूम - झूमकर गाए बंदा।। पता नहीं सूरज को निश दिन, इतनी सुबह जगाता …