संदेश
सागर किनारे - कविता - अनिल कुमार
एक शाम अकेले हम-तुम बाँहो में बाँहें डाले एक-दूजे के संग आओ, साथ चले सागर किनारे मेरे जीवनसाथी-हमदम एक संध्या सागर किनारे रेत पे चलते …
संग हमें रहना है - गीत - रमाकांत सोनी
हर मुश्किल संघर्षों को मिलकर हमें सहना है, कुछ भी हो जाए जीवन में संग हमें रहना है। संग हमें रहना है। प्रीत की धारा बह जाए प्रेम सुधार…
आप के साथ - कविता - डॉ॰ सहाना प्रसाद
आप के साथ ज़िंदगी हर लम्हा उत्सव। सुबह दिल ख़ुश रात को शान्त। बातें करती हूँ या चुप रहती हूँ, लगता है दिल की बात बिन कहे समझ ली आपने। एक…
साथ निमाएँ उम्र भर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दाम्पत्य प्रणय मन माधवी, माघी माह वसन्त। मनमोहन माधव मधुर, सुरभित सुमन अनन्त।। साथ निभाए उम्र भर, हम जीवन की साज। सतरंगी ग़म या ख़ुशी, प…
तुम्हारा साथ - कविता - गोपाल मोहन मिश्र
तुम्हारा साथ होता है बसंत की तरह, जिसमें मुस्कराती हैं कलियाँ लहलहाते हैं खेत, मचलती हैं हवाएँ इठलाते हैं बादल और उन्ही में से झाँकता …
हमें साथ रहना है - कविता - प्रवीन "पथिक"
हर बार मुझे ही, नतमस्तक होना पड़ता तेरे समक्ष। तुम नहीं झुकती, क्योंकि हिमालय नहीं झुकता। हर बार मेरी ही, आँखें अश्रुपात करती। तुम नही…
आओ मिलकर साथ चले - कविता - नीरज सिंह कर्दम
कुछ दूर तुम चलो कुछ दूर हम चले, मिलकर ये दूरियाँ तय हो जाएँगी। कुछ बोझा तुम उठाओं, कुछ हम उठाएँ, ये बोझा भी कम हो जाएगा। कुछ तुम कहो, …