संदेश
वो ख़्वाब पुराने - कविता - मेघना वीरवाल
ख़्वाहिशों के इस जहान में हर दिन पल-पल में ख़्वाबों का मेला लगता है, कुछ है सामने कुछ भीड़ में खोया लगता है। हम वो है जो इस मेले में…
ख़्वाब - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
दिल-ओ-दिमाग़ में अनगिनत बहाने रखकर, हम सो गए ख़्वाब को सिरहाने रखकर। जब ख़्वाब दिमाग़ में आता है पूरा होने को मचलाता है, थोड़ा सा अभी वक्त …
अधूरा ख़्वाब - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
मेरी तन्हाई में ख़्वाब तेरे, ग़र रोज़-रोज़ दस्तक देते। चाहत के झरोखे से बाहर, दो बिंदु ताँक-झाँक में रहते।। मेरे कंपित अधरो की भाषा, जो न…
हर सपने पूरे होंगे अब - कविता - गौरव दात्रया
पल भर के लिए मूँदी आँखे, एक ख़्वाब ज़हन में डोल गया, एक ख़्वाब में थे ख़्वाब हज़ार, हर ख़्वाब अधूरा रह गया। सौ दफ़े हारा हूँ, सौ दफ़े म…
सुलगते ख़्वाब - कविता - अनूप मिश्रा 'अनुभव'
अंदाज़ मौसम का आज, फिर ख़ुशनुमा सा है। बुझी चिंगारी सुलग रही, उठ रहा फिर धुआँ सा है।। जले मकान में फिर से आग, लगे भी क्या भला। हाँ, बरस…
ख़्वाब मन में कई पल गए - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती : 212 212 212 ख़्वाब मन में कई पल गए, तेरे आने से ग़म गल गए। वक़्त पर साथ तेरा मिला, तीर नैनो से वो च…
ऐसे मेरे सुनहरे सपने हैं - कविता - डॉ. सत्यनारायण चौधरी
ऐसे मेरे सुनहरे सपने हैं। जहाँ नहीं हो कोई पराया, सब अपने ही अपने हैं। जात-धर्म का भेद मिटे, चाहे कितने ही हों अलग वेश, बस प्यार फले- …