संदेश
नव उमंग नवरस भरते हैं - मुक्तक - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
हम सतरंगी अरुणाभ पटल जग, नित स्वागत अभिनंदन करते हैं। द्रुतगति विकास नीलाभ पथिक बन हम नव उमंग नवरस भरते हैं। नित …
किसान का दर्द - मुक्तक - संजय राजभर "समित"
यह स्वेद सिंचित अनाज के दाने हैं। क्षुधा तृप्ति का यही मान्य पैमाने हैं। किसान की पीड़ा भला कौन सुना है इस बात पर नेता बड़े सयाने…
कब ढले शाम अनज़ान समझ - गीत (मुक्तक) - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जीवन की ढलती शाम समझ, पल पल अनुपम अलबेला है। सौगात तुम्हें दी है कुदरत, गाथा नव सत्पथ लिखना है। सोपान नया उत्थान समझ, न…
जनाजा उठ गया होता - मुक्तक - राहुल सिंह "शाहावादी"
जनाजा उठ गया होता, अगर देखा न होता। नजर के तीर का मारा, पङा रोता न होता। तुम्हारी इन अदाओं ने, शरा…
मधुर मीत बनूँ सुखधाम - मुक्तक - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मन माधव नव कलित ललित हृदय अविराम , मन का उद्गार जीवन साथी के नाम। मुदित हृदय मकरन्द सुरभि मुख सरोज रसपान, …
मेरा न यूँ दिल तोड़ना था - मुक्तक - राहुल सिंह "शाहावादी"
हर किस्म का तुम सनम, इल्जाम मुझपर थोप देते। पर वफा करके मेरे संग, तुमको न ऐसे छोड़ना था। प्यार में जो मांग लेते,…
धरती के दिनकर - मुक्तक - सुषमा दीक्षित शुक्ला
तमतोम मिटाते हैं जग का , शिक्षक धरती के दिनकर हैं । हैं अंक सजे निर्माण प्रलय , शिष्यों हित प्रभु सम हितकर हैं । शुचि दिव्य ज्…