संदेश
रक्षाबंधन - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
रक्षाबंधन के दिन बहना राखी तुमको लाई, माथे तिलक लगाकर बाँधी रक्षासूत्र कलाई। युग-युग जिओ बधाई तुमको चमको जैसे तारा– रक्षा में प्राणों …
आज़ादी - मुक्तक - इन्द्र प्रसाद
गगन साक्षी शहीदों का मिली कैसे है आज़ादी। चूम फंदे लिए हंँसकर बढ़ाकर बाँह फौलादी। वतन की यज्ञशाला में बनाया हव्य शीशों का, शहीदों के अथक…
पन्द्रह अगस्त - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
पन्द्रह अगस्त की पावन वेला झण्डा गृह फहराओ, वीर शहीदों की समाधि में जा घृत दीप जलाओ। उठो 'अंशुमाली' बोलो तुम जय-जय भारत माता– …
सीमा के पहरुओं - मुक्तक - श्याम सुन्दर अग्रवाल
1 ओ नेफ़ा के रक्षक जवान, ओ हिमगिरि पर भारत की शान, ओ सीमाओं के पहरेदारो, कर रहा देश तुमको प्रणाम। 2 तुम लिए शस्त्र, पर शांतिदूत, तुम बढ…
मित्र - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
मित्र तुम्हारा हृदय सिन्धु है तुम नाविक हो वह पतवार, साथ तुम्हारे रह कर करता भंवर और भवनद को पार। क्षीर-नीर का वही विवेचक यक्ष प्रश्न …
हिंदी हिंद देश की शान - मुक्तक - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
1 हिंदी हिंद देश की शान। हिंदी हम सबका सम्मान॥ नेह-प्रेम बरसता घर-घर, हिंदी हिंदू मेरी जान॥ 2 रोली सुनिएँ आए निंदी। हिंदी माथे की…
कल तलक - मुक्तक - श्याम सुन्दर अग्रवाल
1 कल तलक तो हम भी होते थे सुघड़, क्या हुआ जो आज हैं ऊबड़-खाबड़। जो ख़ामियाँ हममें नज़र आतीं हैं तुम्हें, ये, वक्त ने की है हमारे साथ गड़…