रक्षाबंधन - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'

रक्षाबंधन - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | Muktak - Rakshabandhan. Muktak On Rakshabandhan
रक्षाबंधन के दिन बहना राखी तुमको लाई,
माथे तिलक लगाकर बाँधी रक्षासूत्र कलाई।
युग-युग जिओ बधाई तुमको चमको जैसे तारा–
रक्षा में प्राणों का अर्पण सपथ ले रहा भाई।

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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