संदेश
बचपन - कविता - अभिलाषा भाटी
ये दिन फिर ना आएँगे खिलते मुस्कुराते ये चेहरे ज़रा सी बात पे उदास होते ये चेहरे... फिर खिलखिलाकर हँस देते ये चेहरे... समेट लो इन पलों क…
माँ - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
माँ का क़र्ज़ भूल ना जाना बचपन याद करो, अपना फ़र्ज़ भूल ना जाना बचपन याद करो। ममता ने जब छाँव करी जब कड़ी धूप छाई, निज आँचल में छिपा लिया ज…
बचपन की एक रात - कविता - इमरान खान
बचपन की एक रात मुझे पुकारती हुई। जुगनुओं की रोशनी में, भीगती हुई सैंकड़ों बूँदें। सफ़ेद चादर बर्फ़ की, चंद्रमा की काली रोशनी में। पंचम…
वो बचपन - कविता - अनूप अंबर
वो बचपन कितना सुंदर था, संग संग मित्रों की टोली थी। हर दिन दिवाली जैसा लगता, हर शाम तो जैसे होली थी॥ संग-संग खेलते लड़ते थे, मन में वै…
काश! मैं छोटी होती - कविता - अंजली शर्मा
काश! मैं छोटी होती, न कोई दिक्कत, न कोई परेशानी होती। काश! मैं छोटी होती, न वर्तमान का संघर्ष, न भविष्य की चिंता होती। काश! मैं छोटी ह…
बालहठ - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
मर्यादा को लाँघ जाता है बालहठ, उसे बढ़ने दो समय के अनुसार, उन्हें रोक देना जब सीमा का अतिक्रमण हो, उनमें आकाश छूने की चाहत है आपको चा…
बड़ा मज़ा आता था - कविता - अखिलेश श्रीवास्तव
बचपन के दिनों में दोस्तों के साथ मिलकर शरारतों को करने में बड़ा मज़ा आता था। बचपन के खेल-खेल में अपने दोस्त की ढीली पैंट नीचे निपकाने …