संदेश
वह अपना-सा - कहानी - अनुराग उपाध्याय
वैसे तो शिमला की घाटी, वहाँ की वादी, वहाँ का गायन, वहाँ की सुंदरता आदि न केवल भारत में अपितु संसार भर में चर्चित और लोकप्रिय है। लेकिन…
धरती का भूषण हैं पौधे - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
धरती का भूषण हैं पौधे गिरे धरा जीवन बुझते। उड़े पखेरू छोंड़ घोंसला चींचीं चूजे रोते रहते खा गईं चीलें कौवे नोंचें हँसे बहेलिया आग जलाए…
हे तरुवर! - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
हे तरुवर! गर तुम न होते साँस कहाँ से लाते हम? खट्टा-मीठा और रसीला स्वाद कहाँ से पाते हम? लाल गुलाबी नीले पीले ख़ुशबू वाले फूल न होते, क…
शीशम-सागौन - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
घर-घर पहचाने है शीशम-सागौन! महिमा है इनकी भी कुछ कम नही! इमारती लकड़ी है बेदम नही! भोर उठी कर रही नीम का दातौन! होता है पेड़ से स्वच्छ…
पहन लिए नए-नवेले कपड़े फिर से - कविता - अशोक बाबू माहौर
और ये पेड़ों की हरी भरी पत्तियाँ झूमने लगीं बाग बग़ीचे फूल अनेक रंग बिरंगे महक उठे भँवरे तितलियाँ मँडराने लगे, गाने लगीं हरित घास नए पु…
पेड़ - कविता - गोपाल जी वर्मा
हरे पेड़, भरे पेड़, आँधी तूफ़ान से, लड़े पेड़। धूप में छाँव देने को, खड़े पेड़। फल-फूल देने के लिए, सजे पेड़। झूला झूलने के लिए, निभे पे…
तुम मुझे संरक्षण दो, मैं तुम्हें हरियाली दूँगा - कविता - पारो शैवलिनी
काटो और काटो और और काटो क्योंकि, कटना ही तो नियति है मेरी। अगर कटूँगा नहीं तो बटूँगा कैसे? कभी छत, कभी चौखट कभी खिडक़ी, कभी खम्भों क…