संदेश
नारी तू अविचल है - कविता - जितेन्द्र शर्मा
नारी! तू अविचल है। पंकज सी कोमल है पर दृढ़ है तू गिरिवर सी, सागर सी गहरी है पर लहरों सी चंचल है, नारी! तू अविचल है। कुल वंश का मान है …
नारी उत्पीड़न - कविता - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
नारी की नियति अस्मिता पर, जब प्रश्न उठा तुम मौन हुए। जीवन भर बंदिश में रहना, तुम कहने वाले कौन हुए। सदा प्रताड़ित होती नारी, क्या उसका …
गांधी जी और स्वतंत्र भारत की स्त्री - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
गांधी जी का जीवन-दर्शन आश्रय स्थल है उन जीवन मूल्यों और विचारों का जहाँ श्रम है, सादगी है सदाचार है, आत्मसम्मान है, सत्य है, अहिंसा है…
कच्ची मिट्टी - कविता - कुमुद शर्मा 'काशवी'
कच्ची मिट्टी सी मैं, सबके रंग में रंग जाऊँ, ढाल ख़ुद को...! अपनो की ख़ुशियों में, मन ही मन सुकून पाऊँ, हर रिश्ते के साँचे में, ढाल ख़ुद …
नारी - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
नारी है तो जग है, नारी है तो जीवन का सुंदरतम मग है। अबला नहीं हो तुम तुम तो हो सबला, बचपन में माँ-बाप का खिलौना और आँगन में जैसे तु…
नारी सशक्तिकरण - घनाक्षरी छंद - संगीता गौतम 'जयाश्री'
ममता की मूरत हो, भला सा एहसास हो। आँचल में नेह भरा, प्रेम का आवास हो।। सृष्टि का निर्माण किया, वंश बढा धरा बनी। जहाँ नहीं दुख दिखे, सु…
तुझसे है यह जीवन सारा - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
तुझसे है यह जीवन सारा, लोक, धरा ये गगन अपारा, तुमसे है ख़ुशियाँ और प्यार तुमसे ही है ये घर परिवार, बच्चों के कोमल बचपन सी मुस्काती हर्ष…