संदेश
हे मातु ब्रह्मचारिणी! - कविता - राघवेंद्र सिंह
नमः नमः विहारिणी, हे मातु ब्रह्मचारिणी! दिवस द्वितीय पूजिता, हो मंत्रध्वनि हो कूजिता। है श्वेत ये मुखाकृति, स्वरूप सौम्य स्तुति। हो त्…
नवरात्रि - कुण्डलिया छंद - सुशील कुमार
माता दुर्गा का लगे, तीजा रूप महान। अर्धचंद्र है भाल पर, चंद्रघंटा सुजान॥ चंद्रघंटा सुजान, भुजा दस सोहे माँ के। मिट जाते सब पाप, करे दर…
नवरात्रि - कविता - शेखर कुमार रंजन
दाएँ हाथ त्रिशूल लेकर, बाएँ हाथ कमल के फूल, बेटा के घर हर्ष से आना, जाना ना मइया तू भूल। बाएँ हाथ कमंडल रखना, दाएँ हाथ में माला, सर पर…
शैलपुत्री - कविता - डॉ॰ सरला सिंह 'स्निग्धा'
प्रथम वन्दित हैं शैलपुत्री, गाते गुण कर जोड़े चारण। बाएँ हाथ में कमल पुष्प, पार्वती माँ का नाम दूजा। खाली नहीं मनोरथ जाए, जिसने है मात…
हे हिमसुता! हे शैलजा! - कविता - राघवेंद्र सिंह | प्रथम शक्ति स्वरूपा माँ शैलपुत्री पर कविता
हे हिमसुता! हे शैलजा! हो पूज्य तुम प्रथम सती। हो श्वेत वस्त्र धारिणी, दिवस प्रथम है स्तुति। हो रात्रि नव में तुम प्रथम, दिवस प्रथम करे…
नवरात्रि की धूम - गीत - रविंद्र दुबे 'बाबु'
देखो-देखो रे नाचे मोर मैं भी नाचूँगी... देखो देखो रे नाचे मोर मैं भी नाचूँगी... नवरात्रि की धूम मची हैं करते नमन हम सब जन थाल सजा के…
नवरात्रि महापर्व - कुण्डलिया छंद - शमा परवीन
मनभावन पावन लगा, नवरात्रि महा पर्व। करते आएँ हैं सदा, हम सब इस पर गर्व॥ हम सब इस पर गर्व, चेतना नई जगाएँ। रख कर नौ उपवास, मातु को शीश …