नवरात्रि की धूम - गीत - रविंद्र दुबे 'बाबु'

देखो-देखो रे नाचे मोर 
मैं भी नाचूँगी...
देखो देखो रे नाचे मोर 
मैं भी नाचूँगी...

नवरात्रि की धूम मची हैं
करते नमन हम सब जन
थाल सजा के वंदन करते
महिमा पूजें भर मन
तेरी महिमा पूजें भर मन
है गली-गली में शोर
है गली-गली में शोर, मैं भी नाचूँगी।

कमल पाष धर शेर सवारी
लाल चुनरिया तन पर
पाप से मुक्ति दिला दो हमको
आ जाओ धरती पर
माँ आ जाओ धरती पर
जयकार है चारो ओर
जयकार है चारो ओर, मैं भी नाचूँगी।

हे माँ शक्ति! तू ही भक्ति
लीला तेरी निराली
तु ही दुर्गा, सती गौरी है
कालजयी तू काली
माँ कालजयी तू काली
मन होता भाव विभोर
मन होता भाव विभोर, मैं भी नाचूँगी।

नौ दिन तेरी करूँ अर्चना
मोक्ष मुझे मिल जाए
हरड़, आमला, तुलसी, अलसी
भोग से रोग मिटाए
दुनियाँ भोग से रोग मिटाए
ख़ुशियों का ओर ना छोर
ख़ुशियों का ओर ना छोर, मैं भी नाचूँगी।

रविन्द्र दुबे 'बाबु' - कोरबा (छत्तीसगढ़)

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