संदेश
नवरात्रि महापर्व - कुण्डलिया छंद - शमा परवीन
मनभावन पावन लगा, नवरात्रि महा पर्व। करते आएँ हैं सदा, हम सब इस पर गर्व॥ हम सब इस पर गर्व, चेतना नई जगाएँ। रख कर नौ उपवास, मातु को शीश …
रंग गुलाबी छा गया - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
रंग गुलाबी छा गया, गली-गली गुलज़ार। अंग-अंग गीले दिखें, होली के त्योहार।। होली के त्योहार, हलचल मची है दिल में। प्रीति-प्यार का हार, …
पति पत्नी का प्रेम - कुण्डलिया छंद - विशाल भारद्वाज 'वैधविक'
जीवन की सारी व्यथा, का रहता है तोड़। पति पत्नी का प्रेम ही, है ऐसा गठजोड़।। है ऐसा गठजोड़, प्रेम हैं सदा निभाते। प्रेम रहे जब साथ, प…
आलस घातक घोर - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
जागो समय न खोइए, आलस घातक घोर। छोटे दिन की ज़िंदगी, कब लाओगे भोर।। कब लाओगे भोर, करो कुछ कर्म नगीना। छोड़ो तम अज्ञान, बढ़ो पथ जीवन जीना…
नमन करूँ शत बार - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
शिक्षक जी आदर सहित, नमन करूँ शत बार। सिर पर मेरे हाथ रख, देना अपना प्यार।। देना अपना प्यार, कृपा तुम मुझ पर करना। अंधकार अज्ञान, सदा ज…
आदमी - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
बतलाते हैं, आदमी, है संवेदन हीन। पागुर करता मौज में, ख़ूब बजाओ बीन।। ख़ूब बजाओ बीन, नहीं वह कुछ भी सुनता। केवल अपने स्वार्थ, सिद्धि के स…
धीरज न खोना - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
कोरोना है कर रहा, अब ताण्डव बिकराल। रूप बदल कर ज्यों यहाँ, नाच रहा है काल।। नाच रहा है काल, परी है मारा-मारी। मानवता लाचार, हुई है ज्य…