रंग गुलाबी छा गया, गली-गली गुलज़ार।
अंग-अंग गीले दिखें, होली के त्योहार।।
होली के त्योहार, हलचल मची है दिल में।
प्रीति-प्यार का हार, छुपे हैं साजन बिल में।।
कहें बेधड़क बंधु, प्यार का हार शराबी।
दिल-दिल भय रंगीन, छा गया रंग गुलाबी।।
भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क' - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)