संदेश
विधा/विषय "काग़ज़"
कोरे काग़ज़ और क़लम - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गुरुवार, जनवरी 21, 2021
मैं काग़ज़ के कोरे पन्नों पर, अविरत अन्तर्मन भाव लिखती हूँ, जन ज़ज़्बातों की मालाओं को, कोरे काग़ज़ पर रव गढ़ती हू…
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