संदेश
पंछियों का दर्द - कविता - विपिन उपाध्याय
हम है पंछी हाय रे गर्मी आई रे गर्मी हम है आसमान में उड़ते स्वयं ही अपना दाना चुकते हाय रे गर्मी आई रे गर्मी सर्दी से हमें नही है दिक़्क़…
दुख बदली - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
कभी शाम के सिरहाने खड़े सूरज को देखा है, ढलते माथे पर दुख बदली की रेखा है। स्मरण किया उन व्यर्थ हुए मूल्यों का, नदी के वेग, नदी की श्र…
ख़ामोशियाँ - कविता - आनन्द कुमार 'आनन्दम्'
ख़ामोशियाँ बहुत कुछ कहती हैं धीरे-से, हौले-से, चुपके-से ख़ामोशियाँ बहुत कुछ कहती हैं। मन की बाट जोहती हैं बेसुध-बेजान-बेबसी की साए में…
अभिशप्त इच्छाएँ - कविता - प्रवीन 'पथिक'
सब कुछ बिखर जाने के बाद; पथ-परिवर्तन के बाद; और स्मृतियों का गला घोंटने के बाद भी लगता है, कोई ऐसी बिंदु, कोई अवशेष, कोई रिक्तता छूट र…
स्वयं जलो - कविता - संजय राजभर 'समित'
जलो मत न जलाओ किसी को यदि जलाना है तो अंदर के विकारों को जलाओ अप्प दीपो भव: बनो कुंदन बनोगे आत्म चेतना जिस दिन जल गई फिर क्या जलना क्य…
होली - कविता - गणेश भारद्वाज
सद्भावों की माला होली, ख़ुशियों की है खाला होली। रंग बसे हैं रग-रग इसकी, रंगों की है बाला होली॥ मन के शिकवे दूर करे यह, मस्ती में फिर च…
अनुसरण कृष्ण का - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
शिथिल पाँव भोग के, विस्मरण भाव शोक के। कर्म से गति का अवसर, सम्यक ध्यान अहरहर। अनुसरण कृष्ण का। होली, अग्नि दहन ईर्ष्या का, उचित प्रयो…