संदेश
उम्मीद की लौ - कविता - रूचिका राय
इतना भी मुश्किल नही है बात बेबात मुस्कुराना, ग़म के अँधेरों में भी दिल में उम्मीद के लौ जलाना। जब भी टूटने बिखरने का ख़्याल आए तुझे, बस …
टूटती उम्मीदों की उम्मीद - कविता - मंजिरी "निधि"
मन में उत्साह लिए चलें चलो बढ़ते, टूटती उम्मीदों की उम्मीद से पंथ नया गढ़ते। साहस रखना है इस घड़ी बड़ी विपदा आन पड़ी, आफ़त में हैं जान और बा…
उम्मीद की उपज - कविता - गोलेन्द्र पटेल
उठो वत्स! भोर से ही ज़िंदगी का बोझ ढोना किसान होने की पहली शर्त है। धान उगा प्राण उगा मुस्कान उगी पहचान उगी और उग रही उम्मीद की किरण सु…
जीने की इक उम्मीद - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
जीने की इक उम्मीद को दिल मे जगा गया। जैसे दवा बीमार को कोई पिला गया। बीते कई अरसे हँसी होंठों पे न आई, जादू था कोई उसमें वो पल में हँस…
कल की आस - कविता - मनोज राय
कल की आस लिये बैठे हैं, अपने पास कुछ ख़ास लिये बैठे हैं, उम्मीदों का दीप जलाए बैठे हैं। कल किसने देखा कल कहीं नही जीवन के कुछ लाभ-हानि …
आशा का दीप - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
आशा का दीप जलाये रखना। मुस्कुराते हुए जिंदगी में आगे बढ़ना। बिन आशा होता जीवन फीका।। उम्मीद से ही मानव है जीता।। हौसला व उम्मीद को बन…
उम्मीद अभी भी बाँकी है - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नित जीवन के नूतन सपने, अरमान सजाना बाँकी है। अभिलाषा नव प्रीति मिलन के, उम्मीद अभी भी बाँकी है। यायावर हम…