उम्मीद की उपज - कविता - गोलेन्द्र पटेल

उठो वत्स!
भोर से ही
ज़िंदगी का बोझ ढोना
किसान होने की पहली शर्त है।
धान उगा
प्राण उगा
मुस्कान उगी
पहचान उगी
और उग रही
उम्मीद की किरण
सुबह सुबह
हमारे छोटे हो रहे
खेत से…!

गोलेन्द्र पटेल - चंदौली (उत्तर प्रदेश)

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