उम्मीद अभी भी बाँकी है - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

नित  जीवन  के  नूतन   सपने,
अरमान   सजाना    बाँकी   है।
अभिलाषा नव प्रीति मिलन के,
उम्मीद अभी   भी    बाँकी   है।

यायावर    हम    तूफ़ानों   के,
नवक्रान्ति   जगाना  बाँकी  है।
बन मशाल  ख़ुद ध्येय राह के,
उम्मीद अभी  भी    बाँकी  है। 

माना    दुर्गम    पथ   पथरीले,
साहस धैर्य दिखाना  बाँकी है।
संघर्ष  परिश्रम नित मानव के,
संसाधक  बनना   बाँकी    है।

आतंकी     पाकी   चीनी    के,
अरिमर्दन    करना   बाँकी  है।
सुखद शान्ति मुस्कान वतन में,
नवदीप    जलाना   बाँकी   है। 

धर्म  जाति  भाषा   विभेद  के,
मन   घृणा  मिटानी  बाँकी  है।
दीन   धनी   निर्भेद   वतन  में,
मुख  खुशियाँ लानी बाँकी  है। 

प्रीति नीति नवगीति वतन  में,
रसधार    बहाना   बाँकी   है।
महाशक्ति  निर्माण  वतन  के,
राष्ट्र भक्ति  दिखानी बाँकी है। 

निर्भय जन संबल  भारत  में,
विश्वास  जगाना  बाँकी    है।
शिक्षित सबला हो  भारत में,
महाशक्ति बनाना  बाँकी   है। 

छल कपटी मन लोभ मोह से,
मानवता    धर्म    बचाना   है।
समरसता   ईमान   वतन   में, 
इन्सान     बनाना   बाँकी   है।

हुआ   प्रदूषित   पर्यावरण  में,  
वन  पेड़  लगाना   बाँकी    है।
नद  निर्झर  सर भरे सलिल से,
सुप्रकृति    सर्जना  बाँकी   है। 

लोकतंत्र  गणतंत्र  वतन  में, 
परमार्थ  जगाना  बाँकी   है।
संविधान  पालन  जनता में, 
अलख  जलाना   बाँकी  है।। 

प्यार  कशिश रिश्ते नाते  ये,
नवसूत्र  पिरोना    बाँकी  है।
नवप्रभात हो फिर जीवन में,
उम्मीद अभी  भी  बाँकी  है।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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