संदेश
विधा/विषय "आँख"
आँखों के सामने - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
बुधवार, फ़रवरी 17, 2021
आँखों के सामने देख आपका ये चेहरा, दिल खिला गुलाब सा नींद करे किनारा। लगता है जागते रहें सारी रात बस यूँ ही साथ न छूटे अपना, न हो कभी …
नैनों की भाषा - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
बुधवार, जनवरी 06, 2021
भाषा नहीं है आसान दो नैन इसकी पहचान करते जब इशारे मटक कर भटका देते, निकाल देते जान। कुछ शर्मीले, कुछ बदमाश नैनों के है अलग मिज़ाज नैनो…
जागी हुई आँखो में क्या है - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी
मंगलवार, सितंबर 01, 2020
जागी हुई आँखों में क्या है । यानी तेरी यादों में क्या है ॥ सिर्फ खुदा की अज़मत है ये । तेरी - मेरी सांसों में क्या है l उम्र क…
वह आंखें दिखलाता है - कविता - सतीश श्रीवास्तव
मंगलवार, जून 30, 2020
हिंदी चीनी भाई भाई उसकी समझ न आता है, जिसकी आंखें खुली न पूरी वह आंखें दिखलाता है, पागलपन अब हद से ज्यादा चीनी ने दिखलाया है, गीद…
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