आलोक गोयल - ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)
आईना - कविता - आलोक गोयल
शनिवार, अक्टूबर 26, 2024
ख़ुद से मिलने का मन हो
बस मेरे सामने आ जाना
मैं आईना हूँ तेरा
तुझे तुझसे ही मिलाऊँगा
कोई परेशानी हो
सही राह ना मिले तो
बस सामने आ जाना
सही राह भी दिखाऊँगा
ग़ुरूर दिमाग़ पे चढ़ने लगे
झूठ का पर्दा आँखों पे पड़ने लगे
तो बस सामने आ जाना
औक़ात सच-सच बताऊँगा।
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