मुस्कुराहट - कविता - अमृत 'शिवोहम्'

मुस्कुराहट - कविता - अमृत 'शिवोहम्' | Hindi Kavita - Muskuraahat - Amrit 'Shivoham' | मुस्कुराहट पर कविता, Hindi Poem On Smile
मंद हवा में लहराते तुम्हारे बाल जब तुम्हारे होठों पर आते हैं... 
और तुम्हारे दोनों डिंपल होठों से सटकर 
180 डिग्री का सरल कोण बनाते हैं 
तब मेरे दिल का समकोण भी तुम्हारे दिल के समकोण से मिलकर 180 डिग्री सा हो जाता है 
काश 360 डिग्री की इस दुख भरी ज़िंदगी में तुम्हारे होंठ सदा यूँ ही 180 डिग्री सा मुस्कुराते रहें। 


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