क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो - गीत - सुशील कुमार

क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो - गीत - सुशील कुमार | Radha Krishn Geet - Kyon Nahin Kaanha Hamare Paas Aate Ho | राधा कृष्ण पर गीत / कविता
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो। 
प्रेम की वंशी अधर से ना बजाते हो॥ 

राह मे जो तुम कभी माखन चुराते थे, 
साँझ के ढलते कभी वंशी बजाते थे। 
रास क्यों फिर से नहीं मोहन रचाते हो, 
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो॥ 

क्या हुई ग़लती बता जाओ सखे आके, 
कब तलक आख़िर बिरह में रैन हम काटे। 
स्वप्न में आते कभी सचमुच न आते हो, 
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो॥ 

कौन सा जादू चलाई कुब्जा सौतन, 
एक पल में भूल बैठे हो सखे बचपन। 
बिन हमारे किस तरह से दिन बिताते हो, 
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो॥ 

कंकड़ों में आपको उद्धव बताते हैं, 
योग की बातें बताते ना लजाते है। 
भेज कर चिट्ठी अगन दिल में लगाते हो, 
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो॥ 

क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो। 
प्रेम की वंशी अधर से ना बजाते हो॥ 


साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos