सत्य की कठोरता को कौन झेल पाता नित्य - कवित्त - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'

सत्य की कठोरता को कौन झेल पाता नित्य - कवित्त - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण' | Kavitt - Satya Ki Kathorata Ko Kaun Jhel Paata Nitya
सत्य की कठोरता को कौन झेल पाता नित्य,
काव्य में रसत्व का आनन्द नहीं होता तो।
रूखे सूखे ज्ञान को भी सरस बनाता कौन,
कवि जो स्वतन्त्र स्वच्छन्द नहीं होता तो॥
लय में लालित्य नाद, भाव माधुरी में राग,
मिट जाते कविता में, छ्न्द नहीं होता तो।
कटता न काटे एक पल ऊब जाते 'प्राण',
लोगों को कवित्व जो पसन्द नहीं होता तो॥

गिरेंद्र सिंह भदौरिया 'प्राण' - इन्दौर (मध्य प्रदेश)

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