शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
हरसिंगार - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सोमवार, सितंबर 12, 2022
सायंकाल जब मैं पहुँचा
फूलते हरसिंगार के पास
वह रोनें लगा,
तुम्हारे न रहने के बाद
कौन बुझाएगा मेरी प्यास?
तुम्हारे अन्तिम प्रयाण पर
तुम्हारे शव के साथ
चलेंगे मेरे पुष्प
फिर तुम्हारी स्मृति में
सूख कर मरना मेरी नियति।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
सम्बंधित रचनाएँ
फूल-सी कलियों को खिलने दो - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
प्यार वो फूल है - कविता - चीनू गिरि
फूल से पत्थर का संवाद - कविता - ममता शर्मा "अंचल"
फूल और काँटे - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
फूल से खूशबू कभी जुदा नही होती - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
फूलों की डगर में पत्थर बरसते हैं - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर