प्रेम में आस - कविता - विनय विश्वा

यादों की कसक लिए
खोजती है ये निगाहें
प्रेम में ये खोज यूँ ही जारी रहे
'तबस्सुम' खिलता रहे नजारत बढ़ती रहें,
क्योंकि प्रेम में बिछुड़न से मिलन की आस है दोस्तों
यही आस विश्वास है दोस्तों।

विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)

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