ग्रामीण परिवेश - कविता - सृष्टि देशमुख

ग्रामीण परिवेश है विशेष...

यहाँ चलती हैं शुद्ध ठंडी हवा,
जो छू जाती हैं इस तन को।

यहाँ खुला हैं आसमाँ,
उड़ते दिखते हैं रंग बिरंगी पंछी।

यहाँ चारो ओर होती हैं हरियाली,
जो भाती हैं इस मन को।

यहाँ लोग रहते हैं मिल जुलकर,
सभी से रखते हैं प्रेम भाव।

बहुत कुछ सिखाता है ये परिवेश...

करो सभी प्रकृति से प्रेम,
अपनों से रखो लगाव,
रिश्तों में रखो प्यार कायम,
अपनेपन का जानो एहसास,
सादा जीवन रखो उच्च विचार,
संस्कृति का समझो महत्व।

आख़िर ग्रामीण परिवेश होता है विशेष।

सृष्टि देशमुख - बैतूल (मध्यप्रदेश)

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