माई के मन्दिरवा भीतर - लोकगीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

मगिहौं वरदान माई के मन्दिरवा भीतर। 2
गइहौं गुनगान देवी के मन्दिरवा भीतर। 2

सोना न मगिहौं चाँदी न मगिहौं,
घोड़ा न मगिहौं गाड़ी न मंगिहौ,
मगिहौं मैं मइया का प्यार,
माई के मन्दिरवा भीतर।
मगिहौं वरदान... 2

महला न मगिहौं दुमहला न मगिहौं,
बागा न मंगिहौ बगइचा न मगिहौं,
करिहउँ मइया का सत्कार,
माई के मन्दिरवा भीतर।
मगिहौं वरदान... 2

लहँगा चढ़हउँ चुनरी चढ़हउँ,
फुलवन की माला से चुनि चुनि सजइहौं,
दरशन की करिहउँ गुहार,
माई के मन्दिरवा भीतर।
मगिहौं वरदान... 2
गईहौं गुनगान देवी के मन्दिरवा भीतर। 2

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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