जीवन उत्कर्ष - कविता - प्रतिभा नायक

भरी दोपहरी में छाँव का अर्श,
काँटों के बीच फूलों का स्पर्श।
अँधेरी रात में चन्द्रमा का दर्श,
जीवन में संघर्ष जीवन उत्कर्ष।

निरन्तर चलता, विचारों में बहता,
मन में हार-जीत का खेल सदृश।
लेना होगा तुझे अंतिम निष्कर्ष,
जीवन में संघर्ष जीवन उत्कर्षक्ष।

निर्धारित कर जीवन‌ लक्ष्य,
बाधाओं को अनदेखा कर।
जीत तेरी सुनिश्चित कर,
जीवन में संघर्ष जीवन उत्कर्ष।

प्रतिभा नायक - मुम्बई (महाराष्ट्र)

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