सामने आके जो एहसान ने अँगड़ाई ली - ग़ज़ल - मनजीत भोला

अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122 1122 1122 22

सामने आके जो एहसान ने अँगड़ाई ली।
आपके भी तो गिरेबान ने अँगड़ाई ली। 

आजकल इतना भरोसा है हुकूमत पे हमें,
बात नाफ़े की थी नुकसान ने अँगड़ाई ली।

ना-ख़ुदा कान में तेरे कहा क्या रहबर ने,
एक दम किसलिए तूफ़ान ने अँगड़ाई ली।

एक जर्जर सी जो दीवार गिरी है बाहर,
देख भीतर नए इमकान ने अँगड़ाई ली।

कौन कहता है कि ख़िदमत न मुझे आती है
आँख खुलते ही मेरे मेहमान ने अँगड़ाई ली

कैफ़ियत आज हमारी भी अलग है यारो,
चोट दिल पर लगी मुस्कान ने अँगड़ाई ली।

मनजीत भोला - कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

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